Monday, 07-Jul-2025

Khatushyam Ji Mela 2025

  • January 21, 2025

बर्बरीक, जिन्हें शीश के दानी के नाम से संसार पूजता है, उनके बलिदान से प्रसन्न होकर श्रीकृष्ण ने उन्हें अपने नाम से संबोधित किया, जिसे आज हम खाटू श्याम जी के नाम से जानते और पूजते हैं। फाल्गुन (मार्च) का मेला बाबा खाटू श्याम जी का मुख्य मेला है, जो फाल्गुन शुक्ल पक्ष की षष्ठी से द्वादशी तक (लगभग 8-10 दिनों तक) आयोजित होता है। मेले का मुख्य दिन फाल्गुन शुक्ल ग्यारस (एकादशी) होता है।

फाल्गुन मेला 2025 की अनुमानित तिथियां:

  • प्रतिपदा: शुक्रवार, 28 फरवरी 2025
  • द्वितीया: शनिवार, 1 मार्च 2025
  • तृतीया: रविवार, 2 मार्च 2025
  • चतुर्थी: सोमवार, 3 मार्च 2025
  • पंचमी: मंगलवार, 4 मार्च 2025
  • षष्ठी: बुधवार, 5 मार्च 2025
  • सप्तमी: गुरुवार, 6 मार्च 2025
  • अष्टमी: शुक्रवार, 7 मार्च 2025
  • नवमी: शनिवार, 8 मार्च 2025
  • दशमी: रविवार, 9 मार्च 2025
  • ग्यारस: सोमवार, 10 मार्च 2025 (मुख्य दिन)
  • बारस: मंगलवार, 11 मार्च 2025

मेले का महत्व और आयोजन

फाल्गुन मेले में लाखों श्रद्धालु बाबा के दर्शन करने आते हैं। भक्त बाबा के भजन, कीर्तन और भव्य भजन संध्याओं में भाग लेते हैं। भक्तगण होली तक खाटूधाम में रुककर बाबा के संग होली खेलने के बाद अपने घर लौटते हैं। प्रशासन लाखों भक्तों की भीड़ को देखते हुए उचित व्यवस्था करता है। खाटूनगरी में धर्मशालाएं, पार्किंग और होटलों की सुविधाएं उपलब्ध हैं। राधेश्याम होटल, मोर्वी होटल और लखदातार जैसे प्रसिद्ध होटल यहां मौजूद हैं।

निशान यात्रा का महत्व

हर वर्ष देश-विदेश से भक्त खाटूधाम में बाबा के दर्शन के लिए आते हैं। निशान यात्रा रींगस से खाटू श्याम मंदिर तक की जाती है। भक्त इस यात्रा में बाबा का ध्वज (निशान) लेकर चलते हैं। यात्रा के दौरान झांकी निकाली जाती है, जिसे बैंड-बाजों और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस यात्रा के दौरान प्रसाद वितरण और आतिशबाजी भी होती है। कुछ श्रद्धालु दंडवत परिक्रमा करते हुए बाबा के मंदिर तक पहुंचते हैं।

शिखर पर सूरजगढ़ का निशान चढ़ाने की गाथा

फाल्गुन शुक्ल द्वादशी को खाटू धाम में निशान चढ़ाने की परंपरा है। सूरजगढ़ निशान को शिखर पर चढ़ाने के पीछे एक पौराणिक कथा है। वर्षों पहले भक्तों में सबसे पहले निशान चढ़ाने की होड़ मच गई थी। इसके बाद से यह परंपरा बनी कि सूरजगढ़ का निशान ही शिखर पर चढ़ेगा।

खाटूधाम तक पहुँचने के मार्ग

  1. सड़क मार्ग: दिल्ली से गुड़गांव, कोटपूतली, नीमकाथाना और श्रीमाधोपुर होते हुए रींगस से खाटू पहुंच सकते हैं। सीकर, दांतारामगढ़ और रेनवाल से भी खाटू सीधा सड़क मार्ग से जुड़ा है।
  2. रेल मार्ग: जयपुर, रींगस और सीकर रेल मार्ग से जुड़े हुए हैं। मेले के दौरान अतिरिक्त रेल चलाई जाती हैं।
  3. वायु मार्ग: जयपुर का सांगानेर एयरपोर्ट निकटतम हवाई अड्डा है, जहां से 100 किमी दूरी पर खाटू स्थित है। यहां से टैक्सी द्वारा खाटू पहुंचा जा सकता है।

मेले के दौरान पदयात्रा मार्ग

  • रींगस रोड: सरकारी पार्किंग से बिजली ग्रिड होते हुए खटीकान मोहल्ला और केहरपुरा तिराहे से लामिया तिराहे तक।
  • श्याम बगीची: मुख्य मेला मैदान से जिगजैग रास्ते होते हुए मंदिर तक।

मुख्य त्यौहार

फाल्गुन मेले के अलावा खाटू में कृष्ण जन्माष्टमी, झूल-झुलैया एकादशी, होली और बसंत पंचमी जैसे त्यौहार भी धूमधाम से मनाए जाते हैं।

यदि आप बाबा श्याम के दर्शन और मेले का आनंद लेना चाहते हैं, तो इस पवित्र यात्रा की योजना बनाएं और बाबा श्याम की कृपा पाएं।

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